वास्तु शास्त्री डॉक्टर सुमित्रा अग्रवाल (कोलकाता)। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हम सिद्धि विनायक जी की गणेश चतुर्थी मनाते है। गणेश चतुर्थी को किया गया दान, उपवास और अर्चन गणेश जी की कृपा से 100 गुना हो जाता है। परंतु चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन निषेध है क्योंकि इस दिन चंद्रमा दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है तथा इस तिथि को चंद्र दर्शन ना करें ऐसी सावधानी रखनी चाहिए।

गणेश चतुर्थी को चंद्रमा क्यों नहीं देखना चाहिए ?

इससे संबंधित एक उल्लेख आता है कि चंद्रलोक में भोज का आयोजन था और इस आयोजन में गणेशजी भी आमंत्रित थे। गणेशजी को मोदक बहुत प्रिय है और उन्होंने खूब मोदक खाये और अपने साथ ढेर सारे मोदक बांधकर ले जाने लगते। मोदक की संख्या बहुत अधिक होने के कारण, वे संभाल नहीं पा रहे थे और उनकी पोटली में से मोदक बहार गिरने लगे । यह देखकर चंद्रमा उनका उपहास करने लगे। यह बात गणेश जी को बिल्कुल पसंद नहीं आई। उन्होंने आक्रोश में आकर चंद्रमा को श्राप दे दिया और कहा अब जो भी तुमको देखेगा उस पर झूठा आरोप लगेगा। चंद्रमा घबरा जाते हैं और भगवान से माफी मांगते हैं, बोलते हैं ऐसा मत करिये मेरे साथ। ऐसा करने से तो कभी कोई मेरी तरफ कभी देखेगा ही नहीं। तब गणेश जी ने कहा कि ठीक है मैंने तो यह श्राप दे दिया, श्राप तो निष्फल नहीं होगा और वापस भी नहीं होगा। मई मेरे श्राप के कार्य क्षेत्र को बांध देता हूं कि जिस दिन गणेश चतुर्थी है उस दिन केवल अगर कोई तुम्हें देखेगा तो उसपर चोरी का इल्जाम लगेगा। गणेश जी की यह बात सुनकर चंद्रमा उनसे माफी मांगते है और उस दिन से यह प्रथा मानी जाती है।

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