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गोपेश्वर (चमोली)। भारतीय दलित साहित्य अकादमी उत्तराखंड की ओर से गोपेश्वर अबेडकर भवन में उत्तराखंड राज्य में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति की दशा एवं दिशा पर गोष्ठी आयोजित की गई। ंबतौर मुख्य अतिथि अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुख्य अतिथि मुकेश कुमार ने कहा कि मौजूदा दौर में समाज के साथ आगे बढ़ने के लिए शिक्षा को जरूरी बताया। कहा कि महापुरूषों के साहित्य को पढ़ कर ही आने वाली पीढ़ी को उनके योगदान के बारें में बताया जा सकता है।

गोष्ठी में दलित साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष डॉ जसवंत लोहानी ने कहा कि मौजूदा समय में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के साथ तमाम तरह के अन्याय हो रहे है लेकिन इस दिशा में कोई सकारात्मक कार्य नहीं किए जा रहे है। मौजूदा समय में एससी/एसटी के छात्रों की छात्रवृत्ति को बंद कर दी  गई है। इससे गरीब तबके के छात्रों को अध्ययन करने में दिक्कते आ रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि सामंतवादी मानसिकता के लोग दलित समुदाय के लोगों को शिक्षा के अधिकार से भी वंचित रखना चाहते हैं। वक्ताओं ने समाज के उत्थान हेतु लेख साहित्य पर जोर डालते हुए कहा कि, अपने समाज के महापुरुषों के योगदान को भी समाज में साहित्य के माध्यम से प्रचार प्रसार किए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में दलित साहित्य अकादमी उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. जयपाल सिंह ने दलित साहित्य/पत्रकारिता/खेल समाज सेवा संगीत पर्यावरण सांस्कृतिक कला सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राज्य स्तरीय डा अम्बेडकर सम्मान पत्र, मैडल एवं स्मृति चिन्ह जंगी रडवाल को दिया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष प्रोजयपाल सिंह ने की। इस मौके पर दायित्वधारी बलवीर घुनियाल मौजूद रहे।

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