संपादक की कलम से….
जैसे झूठ के पांव नहीं होते वैसा ही कुछ आजकल देश में दिख रहा है हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा कई बार अपने भाषणों में कुछ ऐसी बात बोल दी जाती है जिसका न सर होता है ना पैर होता है ऐसा ही कुछ हाल ही में उत्तराखंड दौरे के दौरान माणा गांव में अपने भाषण में नरेंद्र मोदी जी द्वारा उत्तराखंड को बने हुए 25 साल बताया गया जो नरेंद्र मोदी 2014 से पहले अपने भाषणों के लिए जाना चाहता था अपनी बोलने की शैली के लिए जाना जाता है आज वही नरेंद्र मोदी जी हर जगह जाकर इतनी गलतियां कर रहे हैं जैसे कि 2014 से पहले कोई और इनके लिए भाषण लिख रहा हूं और आज इनके लिए कोई और भाषण लिख रहा हो नरेंद्र मोदी जी को जनता के बीच में लोकप्रियता केवल उनके बेबाक भाषण और बिना किसी कागज को देखेंगे बोलने की शैली के लिए जाना जाता था आज वही नरेंद्र मोदी जी हर जगह जाकर अपने भाषणों में जनता को संबोधित करते हुए गलत ज्ञान की बातें की जा रही है।
क्या ऐसा तो नहीं कि आज तक के भाषणों में नरेंद्र मोदी जी द्वारा जो भी बात कही गई है वह किसी और के द्वारा लिखी गई है और किसी और की शैली उन भाषणों में थी क्या नरेंद्र मोदी भी और नेताओं की तरह अपने भाषणों को कहीं सारे बुद्धिजीवी द्वारा लिखाता आ रहे हैं और जनता को मूर्ख बनाते आ रहे हैं।
क्या इस देश को ऐसे प्रधानमंत्री की जरूरत है जिनकी ना खुद की सोच है ना खुद की समझ क्या इस देश को ऐसे लीडर मिल ही नहीं पाए जो खुद की समझदारी से इस देश को चला सके क्या नरेंद्र मोदी भी केवल एक कठपुतली है बड़े-बड़े उद्योगपतियों के जो इस देश को एक दीमक की तरह अंदर से खोखला करते आ रहे हैं
कुछ ऐसे ही सवाल हमारे और आपके अंदर उठते हैं और बैठ जाते हैं कोई कुछ बोलता नहीं और कोई सुनना चाहता नहीं