संपादक की कलम से कुछ सवाल…..
क्या उत्तराखंड में आंदोलन के नाम पर केवल राजनीति चल रही है?
जैसे कि सभी को पता है अंकिता मर्डर केस के बाद से ही पूरे उत्तराखंड में गांव से लेकर शहर तक हर तरफ विरोध ही विरोध चल रहा है इसी को देखते हुए रविवार को पूरा उत्तराखंड बंद कराया गया परंतु,क्या आप सभी को लगता है कि यह बंद एक सफल बंद हो पाया है?
क्या उत्तराखंड बंद का फैसला एक सही फैसला था?
क्या इस फैसले के बाद से उत्तराखंड के सोए हुए प्रशासन और शासन व्यवस्था पर कुछ असर पड़ा है?
क्या उत्तराखंड की जनता ने इस बंद को अपना पूर्ण समर्थन दिया है?
केवल दुकानें बंद कराने से या स्कूल कॉलेज वाहन अन्य प्रकार की व्यवस्था को बंद कराने से इस केस को कोई मोड़ मिल पाएगा
क्या अंकिता को इंसाफ मिल पाएगा ?
क्या अंकिता के आरोपियों को फांसी की सजा मिल पाएगी ?या फिर इस आंदोलन की आड़ में सभी लोग राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं
क्या उत्तराखंड की जनता और यहां की कानून व्यवस्था अंधी और लाचार हो चुकी है?