गोपेश्वर (चमोली)। अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर मंगलवार को उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति ने प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करते हुए, जिलाधिकारी के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा।

समन्वय समिति के मुख्य संयोजक मोहन जोशी का कहना है कि उनका संगठन एक लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहा है लेकिन सरकार है कि उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं कर रही है जिससे क्षुब्ध होकर उन्हें आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर एक रणनीति के तहत आंदोलन चलाया जा रहा है। जिसमें 20 सितम्बर को जिला और तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन, 27 को जिला स्तर पर चेतना रैली का आयोजन किया जायेगा तथा सात अक्टूबर को प्रदेश की राजधानी में प्रदर्शन किया जाएगा। यदि इसके बाद भी सरकार नहीं चेतती है तो आगे की रणनीति तय की जायेगी। उन्होंने समन्वय समिति के सभी सदस्यों से अपील की है कि आंदोलन की रणनीति के तय कार्यक्रम के अनुसार आंदोलन को सफल बनाने के लिए एक जुट हों। इस मौके पर मुख्य संयोजक मोहन जोशी, संयोजक शंकर सिंह बिष्ट, प्रदीप चमोली, वीपी उनियाल, नवीन कौशिक, लक्ष्मी कंडारी, निखिलेश मल, संजय सेमवाल, धनी लाल शाह आदि मौजूद थे।

समन्वय समिति की मुख्य मांगे

राज्य कार्मिकों भारत सरकार की तर्ज पर लिये गये डाउन ग्रेडवेतन के अन्यायपूर्ण निर्णय पर पुर्नविचार करते हुये इसे तत्काल वापस लिया जाये।

प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों (मिनिस्टीरियल संवर्ग एवं व्याक्तिक सहायक संवर्ग सहित ) शिक्षको, निगम, निकाय, विश्व विद्यालय-महाविद्यालय, पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।

राज्य कार्मिकों के निर्धारित गोल्डन कार्ड की व्यवस्था के लिए जारी शासनादेश  धरातल पर लागू कराते हुये इसमें उत्पन्न विसंगतियों का शीघ्र निराकरण कराया जाये तथा इस सुविधा युक्त उच्च कोटी के अन्य समस्त अस्पतालों को भी योजना करते हुए सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसदी की कटौती कम की जाये।

समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक), संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाये।

विभिन्न विभागीय संवर्गों के वेतन विसंगति, वेतन उच्चीकृत एवं स्टाफिंग पेर्टन के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित है, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।

जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन, एकीकरणका प्रस्ताव शासन स्तर पर लम्बित है उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये, ताकि कार्मिकों के पदोन्नति के अवसर बाधित न हो।

जिन विभागों में विभिन्न सेवा संवर्गों की पदोन्नतियां अभी तक लम्बित है, उन विभागो में शीघ्र पदोन्नति आदेश जारी कराने की त्वरित कार्यवाही की जाये।

31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को छह माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाये।

वर्तमान में गठित वेतन विसंगति समिति की ओर से शासन को सौंपी गयी रिपोर्ट में कर्मचारी विरोधी निर्णय, सुझावों को अस्वीकार करते हुये इन्हें लागू न किया जाये।

पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था जो 30 जून 2022 तक हो बढ़ायी गयी है, जिसे बिना शर्त के निरन्तर बढ़ाया जाये।

प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाये।

निस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक को लेवल-4 में वेतनमान 25500-31100 अनुमन्य किया जाये तथा प्रधान सहायक लेबल -06 वेतनमान 35400-1,12,400 के पद को प्रशासनिक अधिकारी लेवल- 07 वेतनमान 44900-1,42,400 में उच्चीकृत करते हुये कुल 261 पद प्रशानिक अधिकारी के स्वीकृत किये जाये।

वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुये स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाये।

राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन 2400 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैटन के अन्तर्गत वेतन 4800 तक अनुमन्य किया जाये।

चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टांपिंग पैटर्न लागू करते हुए 4200 तक अनुमन्य किया जाये। आदि शामिल है।

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