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पूर्व प्रधान कमला देवी ने पिंजड़े लगाने व मुआवजे की माँग की।

पोखरी(चमोली)। विकास खंड के तहत त्रिशूला घाटी के त्रिशूला, भदूणा, सगूण, नैल, सेम साकरी, नैल ऐथा समेत कई ग्राम सभाओं में बंदरों, लंगूरों और जंगली सूअरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थानीय ग्रामीण फसल नुकसान और बढ़ते हमलों से बेहद भयभीत हैं।  त्रिशूला की पूर्व ग्राम प्रधान कमला देवी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि बंदरों, लंगूरों और जंगली सूअरों ने क्षेत्र की गेहूं, जौ, सरसों की नई अंकुरित फसल के साथ ही सब्जियों व फलदार पौधोंकृखासकर संतरा, नारंगी और नींबूकृको भारी क्षति पहुँचाई है। हालात इतने खराब हैं कि यह वन्यजीव घरों में रखे खाद्यान्न तक उठाकर ले जा रहे हैं तथा महिलाओं व बच्चों पर झपट्टा मारने तक से बाज नहीं आ रहे। ग्रामीणों में दहशत का माहौल ऐसा है कि बच्चे और महिलाएँ अकेले घर से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं। खेती-बाड़ी लगातार चौपट होने से लोगों का खेती से मोहभंग होता जा रहा है और वे रोजगार की तलाश में मैदानी इलाकों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं, जिससे कई गाँव खाली होने की कगार पर हैं। पूर्व प्रधान कमला देवी ने सरकार और वन विभाग से मांग की है कि बंदरों और लंगूरों को पकड़ने हेतु पिंजड़े लगाए जाएँ,जंगली सूअरों से सुरक्षा के उपाय किए जाएँ, तथा ग्रामीणों को नष्ट हुई फसलों का उचित मुआवजा प्रदान किया जाए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो त्रिशूला घाटी के ग्रामीण गंभीर आजीविका संकट का सामना करेंगे।

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