गोपेश्वर (चमोली)। भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की ओर से चमोली जिले के गैरसैण के रामलीला मैदान में मंगलवार से भू कानून, स्थायी राजधानी और मूल निवास 1950 की मांग को लेकर उपवास शुरू कर दिया है।

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि विधानसभा सत्र में सरकार को मूल निवास 1950, स्थायी राजधानी गैरसैंण और मजबूत भू-कानून का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य की अस्मिता को बचाने के लिए इन सभी मुद्दों पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। पहाड़ के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी लोगों को एकजुट करने का अभियान जारी रहेगा। स्थायी राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट और राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष हरेंद्र सिंह कंडारी ने कहा कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। तभी सरकार की नींद टूटेगी। गैरसैंण के नाम पर सैर-सपाटा बंद हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी लोग दलगत राजनीति छोड़कर एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ें।

युवा नेता मोहन भंडारी और संघर्ष समिति के गैरसैंण संयोजक जसवंत सिंह बिष्ट ने कहा कि आज पहाड़ियों का वजूद पहाड़ी राज्य में खतरे में है। पहाड़ बचाने के लिए राजधानी पहाड़ी में बननी जरूरी है। बाहर के लोग जमीन न खरीद पाए, इसके लिए कड़े कानून बनने चाहिए। मूल निवास 1950 का अधिकार देकर यहां के लोगों को नौकरियों में पहला अधिकार मिलना जरूरी है। इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो उत्तराखंड आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू होगा। इस मौके पर लक्ष्मण खत्री, पृथ्वी सिंह बिष्ट, दिवान राम, वीएस बुटोला, पंकज रावत, रमेश चंद्र, जसवंत सिंह, वीरेंद्र आर्य, राधाकृष्ण काला, विनोद पंवार, श्रीपाल राम आदि मौजूद थे।

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