देहरादून। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में शोध कार्य को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सोमवार को एक राज्य स्तरीय ऑनलाईन कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह ऑनलाईन कार्यशाला का आयोजन उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखण्ड, यू0जी0सी एवं एच.आर.डी.सी. कुमॉऊ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।
सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगोली द्वारा राज्य में संचालित समस्त राजकीय महाविद्यालयों में शोध कार्यों को बढ़ावा देने हेतु निर्देशित किया गया तथा इस क्षेत्र में शासन द्वारा इन महाविद्यालयों को वर्चुअल लैब, आवश्यक प्रयोगशाला उपकरण तथा मोडल कॉलेज के प्रस्तावों से भी अवगत कराया गया। उन्होंने राज्य में धार्मिक पर्यटन, औषधिय वनस्पति, साहसिक पर्यटन तथा कौशल एवं स्व-रोजगार विकास इत्यादि क्षेत्रों में शोध कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड, राजकीय महाविद्यालया को शिक्षा व शोध के क्षेत्र में उन्नत कर नये आयामों को प्राप्त करने हेतु निरन्तर प्रयासरत है।
कार्यशाल में मुख्य वक्ता, आईआईटी रूड़की, प्रो रजत अग्रवाल द्वारा शोध प्रस्ताव लेखन विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया, जिसमें आवश्यक व अति महत्वपूर्ण चरणों के विषय में चर्चा की गयी तथा यह भी सुझाव दिये गये कि शोधार्थियों को उत्तराखण्ड राज्य की प्रमुख समस्याओं व अवसरों पर शोध कर उत्तराखण्ड शासन को प्रस्ताव भेजे जाने चाहिए जिससे भावी योजनायें बनाने में सहायता मिल सकेंगी।
मुख्य वक्ता, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो० अरूण सिदराम खरत द्वारा इन शोध प्रस्तावों को गुणवत्ता तथा शोध द्वारा प्राप्त विभिन्न परिणाम/निष्कर्ष तथा सुझाव को पाठकों तथा सरकार तक प्रस्तुत करने हेतु इसे उच्च कोटि के प्रकाशन भवन में शोध पत्र के रूप में किस तरह प्रकाशन किया जाये, जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यशाला में सर्वप्रथम कुलपति, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, प्रो०एन०के० जोशी द्वारा समस्त प्रतिभागियों को राज्य में शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने हेतु आवश्यक सुविधाओं तथा प्रयत्नों हेतु अवगत कराया गया।
कार्यक्रम के अन्त में अपर सचिव प्रशान्त कुमार आर्य द्वारा उत्तराखण्ड शासन के उच्च शिक्षा में शोध के क्षेत्र में संकल्प तथा योजनाओं से अवगत कराते हुए समस्त अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
उक्त कार्यक्रम में लगभग समस्त राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य तथा शोध संयोजकों आदि ने प्रतिभाग किया।

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