वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी
दुर्गा-पूजा में प्रतिदिन का वैशिष्ट्य महत्व है और हर दिन एक देवी का है ।
नवरात्रि के 09 दिनों में मां दुर्गा के कोनसे 09 रूपों की पूजा किस दिन होगी
26 सितंबर: प्रतिपदा, मां शैलपुत्री पूजा। प्रतिपदाको केशसंस्कारक द्रव्य-आँवला, सुगन्धित तैल आदि केश प्रसाधन संभार चढ़ाये।
27 सितंबर: द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजा। द्वितीयाको बाल बाँधने-गूँथनेवाले रेशमी सूत, फीते आदि चढ़ाये।
28 सितंबर: तृतीया , मां चंद्रघंटा पूजा। तृतीयाको सिन्दूर और दर्पण आदि चढ़ाये।
29 सितंबर: चतुर्थी , मां कुष्मांडा पूजा। चतुर्थीको मधुपर्क, तिलक और नेत्राञ्जन चढ़ाये।
30 सितंबर : पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा। पञ्चमीको अङ्गराग चन्दनादि एवं आभूषण चढ़ाये।
01 अक्टूबर : षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा। षष्ठीको पुष्प तथा पुष्पमालादि चढ़ाये ।
02 अक्टूबर : सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा। सप्तमीको अपने इक्छा और श्रद्धा अनुसार चीजे चढ़ाये।
03 अक्टूबर: दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा। अष्टमीको उपवासपूर्वक पूजन ही पर्याप्त है।
04 अक्टूबर: महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण। नवमीको महापूजा में जो भी आपने सोच रखा है वो सुब चढ़ा दीजिये और कुमारीपूजा अवस्य करे।
05 अक्टूबर : दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी। दशमीको पूजनके अनन्तर पाठकर्ताकी पूजा कर दक्षिणा दे एवं आरतीके बाद विसर्जन करे। श्रवण नक्षत्रमें विसर्जनाङ्ग पूजन प्रशस्त कहा गया है। दशमांश हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन कराकर व्रतकी समाप्ति करे।
आप सब को नवरात्री की ढेरो शुभकामनाये।