गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले में मत्स्य पालन काश्तकारों की आजीविका का बेहतर संसाधन बनता जा रहा है। इसके चलते काश्तकारों की आर्थिकी मजबूत होती जा रही है। जनपद में करीब 1135 काश्तकार मत्स्य पालन के जरिए आजीविका को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। ट्राउट मछली के उत्पादन के जरिए कई काश्तकार आर्थिक समृद्धि की पटकथा लिख रहे हैं। मत्स्य पालन विभाग की ओर से जनपद में केन्द्र पोषित विभागीय योजनाओं के तहत ट्राउट रेसवेज निर्माण, फिश कियोस्क, ट्राउट हैचरी, रेफ्रिजरेटेड वैन, मोटरसाइकिल विद आइस बाक्स, फीड मिल जैसी योजनाओं का काश्तकारों को लाभ दिया जा रहा है। राज्य योजना के अन्तर्गत कलस्टर आधारित तालाब निमार्ण, मत्स्य सहेली, सोलर पॉवर स्पोर्ट सिस्टम, मत्स्य आहार, एवं प्रथम बार बीमा जैसी योजना से पात्र लाभार्थियों को आच्छादित किया जा रहा है।
मत्स्य के सहायक निदेशक रितेश कुमार चंद के अनुसार विभाग द्वारा जनपद में राज्य योजना के तहत मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना एवं केन्द्र पोषित योजनाओं का प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत संचालन किया जा रहा है। जिला योजना के माध्यम से भी काश्तकारों को मत्स्य पालन व्यवसाय से जोड़ने की पहल की जा रही है। बताया कि चमोली जनपद की आबोहवा ट्राउट मत्स्य का पालन के लिए अनुकूल है। इस कारण अधिकतम योजनाओं का संचालन ट्राउट मत्स्य पालन हेतु किया जा रहा है। मौजूदा समय में जनपद के 350 से अधिक रेसवेज में ट्राउड मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। जिससे लगभग 70 टन प्रतिवर्ष का उत्पादन किया जा रहा है। इसके जरिए 600 से अधिक कलस्टर आधारित तालाबों में कामन एवं ग्रास के साथ ही पंगास मछलियों का उत्पादन किया जा रहा है।
मत्स्य पालन के जरिए आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होने से काश्कतकारों का रूझान इस ओर बढ़ता जा रहा है। इसके चलते 2 तथा 3 काश्तकारों की ओर से ट्राउट हैचरी से मत्स्य बीज उत्पादन का भी कार्य किया जा रहा है। बीते वर्ष
करीब 4 लाख मत्स्य बीज का विपणन कर 8 लाख से अधिक की आय काश्तकार अर्जित कर चुके हैं। इसकी आपूर्ति जनपद के साथ ही अन्य जनपदों को भी की जा रही है। मत्स्य पालकों को आहार उपलब्ध करवाने के लिए विभागीय सहयोग के साथ एक फीड मील की भी स्थापना की गयी है। मौजूदा समय तक 40 टन मत्स्य आहार का विपणन कर संचालकों की ओर से 10 लाख से अधिक की शुद्ध आय अर्जित की जा चुकी है। केंद्र सरकार की ओर से सीमांत क्षेत्र में तैनात आईटीबीपी और सेना को मछली आपूर्ति कर काश्तकार 27 लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं। इस तरह मत्स्य पालन काश्तकारों के आर्थिकी का समृद्ध आधार बनता जा रहा है।

