जिले बने,ब्लॉक बने,बनी है तहसीलें,
बन ना पाई राजधानी, राह देखते पहाड़ी
उत्तराखंड राज्य सन् 2000 के बाद से ही अपनी स्थाई राजधानी के लिए पहाड़ों से लेकर मैदान तक जंग लड़ रही है। अभी तक कई सरकारें आई और चली गई,कई वादे भी किए गए परंतु सवाल वही का वही बना है। कि कब मिलेगी उत्तराखंड को अपनी स्थाई राजधानी गैरसैंण, क्यों अब तक कोई भी सरकार इसके ऊपर कार्य नहीं कर पाई सरकारें आती हैं कोई नए ब्लॉक बनाता है कोई तहसीलें बनाता है और अब तो सरकार ने 5 नए जिले बनाए हैं तो एक राजधानी बनाने में इतनी समस्याएं क्यों?
क्या उत्तराखंड राज्य के नेता पहाड़ों की ओर रुख करने से डरते हैं?
क्या उत्तराखंड का स्थाई राजधानी का मुद्दा मुद्दा ही बनकर रह जाएगा?
कुछ ऐसे ही सवाल है जो उत्तराखंड राज्य के साथ साथ चल रहे हैं कब उत्तराखंड वासी पहाड़ों के लिए आवाज उठाना शुरू करेंगे कब क्रांति दोबारा से पहाड़ों की आवाज बुलंद करेगी।