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गोपेश्वर (चमोली)। चारधाम यात्रा समापन होने के बाद अब चमोली जिले में शीतकालीन गद्दी स्थलों पर पूजा अर्चना शुरू हो गई। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के समापन के साथ ही चार धाम के शीतकालीन गद्दी स्थलों पर पूजा अर्चना शुरू हो गई है। चमोली प्रशासन की ओर से शीतकालीन यात्रा को लेकर व्यवस्थाएं चाक चौबंद करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शीतकालीन यात्रा को लेकर व्यवस्थाएं चाक चौबंद की जा रही हैं। चमोली जिले की बात करें तो मां नंदा देवी सिद्धपीठ कुरुड़ गांव में उत्तराखंड की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा मंदिर के दर्शन किये जा सकते हैं। यहां मां नंदा को भगवान शिव की पत्नी के रूप में पूजा जाता है। इसी तरह संतान दायिनी माता अनसूया मंदिर निर्जन जंगल में स्थित है। प्रतिवर्ष दत्तात्रेय पर्व पर यहां दो दिवसीय अनसूया माता मेला आयोजित होता है। मंदिर में निसंतान दंपत्ति संतान कामना लेकर पहुंचते हैं।

गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बढ़ा मंदिर है। यह मंदिर भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन प्रवास स्थल भी है। मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण अगल पहचान रखता है। मंदिर परिसर में एक विशाल त्रिशूल भी स्थित है। स्थानीय मान्यता है कि जब भगवान शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो वह यहां गढ़ गया। त्रिशूल की धातु अभी भी सही स्थित में है।

नीती घाटी में बाबा बर्फानी की गुफा टिम्मरसैंण में स्थित है। सीमांत नीती गांव से 2 किमी की दूर पर स्थित इस गुफा में शीतकाल में दर्शन होते हैं। विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थल औली विश्व प्राकृतिक सौंदर्य के साथ विश्व स्तरीय स्कीइंग स्लोप है। यहां शीतकालीन खेलों का आयोजन किया जाता है। एस्ट्रो विलेज बेनीताल में खगोलीय घटनाओं और ग्रह-नक्षत्रों का दीदार किया जा सकता है। इस स्थान की इस विशेषता के चलते राज्य सरकार की ओर से बेनीताल को एस्ट्रो विलेज के रूप में विकसित किया है।

कर्णप्रयाग अलकनंदा तथा पिंडर नदियों का संगम होने के चलते पंच प्रयागों में शामिल है। भगवान कृष्ण और कर्ण मंदिर और मां उमा देवी के दर्शन कर सकते हैं। ज्योर्तिमठ नगर में नृसिंह मंदिर, आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी, नव दुर्गा मंदिर और भारत के चार मठों में से उत्तराम्नाय मठ (शंकराचार्य मठ) दर्शनीय है। इसके साथ नगर के समीप आणिमठ में वृद्ध बदरी मंदिर स्थित है। आदिबद्री मंदिर समूह तो दर्शनों के लिए विख्यात तो है ही अपितु  इसके समीप ही गढ़वाल नरेश की राजधानी चांदपुर गढ़ी और राजराजेश्वरी मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। इसके अलावा बैरासकुंड, वृद्ध बदरी, कल्पेश्वर, ब्रह्मताल, भेकलताल, उर्गम घाटी, निजमुला घाटी, देवताल, बेनीताल, रुपकुंड, लोहाजंग, लार्ड कर्जन रोड, पोखरी का बामनाथ मंदिर, पर्यटन स्थल मोहनखाल, ग्वालदम, वांण लाटू मंदिर, बधांण गढ़ी के सैर-सपाटे और दर्शनों के लिए भी जाया जा सकता है।

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