गोपेश्वर (चमोली)। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में मुख्यमंत्री नवाचार योजना के अंतर्गत बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्रों में जैविक कृषि के प्रति छात्रों को जागरूक करना रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जड़ी-बूटी शोध संस्थान, मंडल के  निदेशक,  मुख्य विकास अधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्रा ने बताया कि कीटनाशक के प्रयोग से होने वाला उत्पादन स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। यदि आहार को ही औषधि बना लिया जाए तो उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की जा सकती है। जैविक कृषि इस दिशा में यह भूमिका निभा रही है। जैविक कृषक मनोज कुमार हटवाल ने जीवामृत खाद बनाने की विधि को बताया और कहा कि जैविक कृषि के लिए सीमित संसाधनों की आवश्यकता होती है। डॉ. राजेश कुमार मौर्या ने कहा कि वर्तमान में बदलते भोजन शैली के दुष्प्रभावों को देखते हुए आमजन मानस का झुकाव खेती की ओर बढ़ा है। घनश्याम स्मृति संस्थान, सगर के संस्थापक  सदस्य राकेश गैरोला ने स्वस्थ मृदा के विषय में बताया और कहा कि इससे उत्पादन को अधिकतम किया जा सकता है। अच्छी मृदा से स्वास्थवर्धक फसल प्राप्त की जा सकती है। ह्यूमिक एसिड  की खाद खेती में उत्पादकता को बहुत अधिक बढ़ा देती है और यह अच्छी मृदा के लिए जरूरी है। वरिष्ठ वैज्ञानिक जड़ी-बूटी शोध संस्थान मंडल डॉ. सीपी कुनियाल, ने कहा कि खेती का सीधा संबंध पशुपालन से है। पहाड़ों में जैविक खेती होती रही है और अधिक उत्पादन के लिए अच्छे बीज और उत्तम खाद का चयन करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को जैविक खेती से जोड़ा जाए तो यह बहुत अधिक लाभ देने वाला हो सकता है और क्रमशः जैविक खेती की ओर बढ़ना है।

जिला कृषि अधिकारी विजय प्रकाश मौर्य ने कहा कि भारत सरकार की ओर से घोषित मिलेट वर्ष की दिशा में जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं और जैविक आउटलेट खोले जाने की योजना है। चमोली में कृषक जैविक कृषि कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं और यह प्रयास है कि किसानों को जैविक खेती उत्पादों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक भुगतान किया जाए। देवाल विकासखंड को जैविक विकासखंड बनाने के लिए और जैविक उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के प्रयासों को बताया। कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. रचना नौटियाल ने कहा कि जैविक कृषि कार्यक्रम को बहुत जल्द नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया जाएगा और विश्वविद्यालय को पाठ्यक्रम की रूपरेखा भेजी जाएगी। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रूपेश कुमार, डॉ. विधि ध्यानी, डा. कुलदीप नेगी, डॉ. बीपी देवली, डॉ. एसएस रावत, डॉ. पीएल शाह, डॉ. हर्षी खंडूरी, डॉ. भावना मेहरा, डॉ. मनीष मिश्रा आदि मौजूद थे।

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