गोपेश्वर (चमोली)। प्रधान संगठन चमोली ने मनरेगा में एक जनवरी से लागू मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू किये जाने का विरोध किया है। जिस संबंध में बुधवार को संगठन ने मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर इस पर फिर से विचार करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो नौ जनवरी को प्रधान जिले के सभी विकास खंडों में धरना देते हुए मनरेगा का बहिष्कार करेंगे।
प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष मोहन नेगी और सचिव सुरेंद्र धनेत्रा का कहना है कि उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थिति होने के कारण अधिकांश गांव में नेटवर्क नहीं है कई किलोमीटर पैदल मार्ग है ऐसे में मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करना संभव नहीं हैै। वैसे की पहले से मनरेगा में भुगतान का समय से न होना इस पर विपरित प्रभाव डाल रहा है और अब उपर से यह सिस्टम लागू कर मनरेगा को और भी अधिक जटिल बनाया जा रहा है।
उनका कहना है कि मनरेगा में 20 ही कार्य किए जाने की बाध्यता होने के कारण कार्य नहीं हो पा रहे हैं। कई फाइलों का समय से सामग्री भुगतान एवं कुशल मजदूरी ना होने के कारण कई माह तब फाइलें गतिमान रहती हैं जबकि पूर्व में जिन फाइलों का मेटेरियल एवं कुशल मजदूरी भुगतान शेष रहता था उनको फिजिकली क्लोज्ड ऑप्शन के माध्यम से बंद कर दिया जाता था ताकि कार्य ग्राम पंचायतों में सुचारू रूप से गतिमान रहे परंतु अब उस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। जिससे ग्राम पंचायतों में विकास की गति वर्तमान में शून्य है।
उनका यह भी कहना है कि केंद्रीय वित्त से ग्राम पंचायतों को मिलने वाली 15 वित्त की धनराशि आज दिन तक ग्राम पंचायतों को नहीं मिली है। जिससे ग्राम पंचायतों में विकास कार्य पूर्ण रूप से ठप हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 की कार्य योजना पर एक भी कार्य नहीं हुए हैं जबकी पंचायती राज विभाग की ओर से जनवरी माह तक आगामी वित्तीय वर्ष की कार्य योजना बनाने का फरमान जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में ग्राम प्रधानों को कोरोना प्रोत्साहन राशि दस हजार तथा ग्राम पंचायत आपदा निधि के रूप में दस हजार रुपये देने की घोषणा की थी जो मांगे आज दिन तक पूर्ण नहीं हुई है जिससे ग्राम प्रधान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही प्रधानों की मांग पर विचार नहीं किया गया तो मनरेगा का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर नौ जनवरी को प्रत्येक विकास खंड मुख्यालय पर धरना दिया जाएगा।