जोशीमठ (चमोली)। चमोली जिले की सीमांत क्षेत्र नीती घाटी की ग्राम पंचायत भलगांव और सूकी में आपदा के पांच माह बाद भी आपदा के जख्म हरे हैं। यहां वर्तमान तक सुधारीकरण तो दूर आपदा से क्षतिग्रस्त स्थानों का सर्वेक्षण कार्य भी शुरु नहीं हो सका है। ऐसे में जिले में आपदा प्रभावित गांवों की सुरक्षा को लेकर विभागीय अधिकारियों की कार्य प्रणाली से ग्रामीणों में मायूसी है।

बता दें कि वर्ष 2021 के 17 व 18 अक्तूबर को हुई बारिश से ग्राम पंचायत भलगांव और सूकी में आपदा से नाप भूमि के साथ ही आवासीय भवन और गौशाला खतरे की जद में आ गई थी। जिसके बाद ग्राम प्रधान और स्थानीय ग्रामीणों ने मामले में शासन और प्रशासन के साथ ही जन प्रतिनिधियों से गांव की सुरक्षा के लिये आवश्यक कार्य करने की मांग की जा रही है। ग्राम प्रधान लक्ष्मण बुटोला का कहना है कि मामले में तहसील, जिला प्रशासन के साथ ही मुख्यमंत्री से भी गांव की सुरक्षा को लेकर पत्राचार किया गया है। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलत वर्तमान तक यहां आपदा क्षेत्र का सर्वेक्षण कार्य भी शुरु नहीं हो सका है। ऐसे में अब ग्रामीणों को इस वर्ष की आपदा के दौरान बड़े नुकसान की आशंका का भय सताने लगा है। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र प्रशासन की ओर से गांव का सुरक्षा का लेकर कार्य नहीं किया जाता तो ग्रामीणों के सम्मुख गांव छोड़ने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं होगा।

ग्राम पंचायत भलगांव-सूकी के सर्वेक्षण के लिये भूगर्भवेताओं की टीम को सूची भेजी गई है। जल्द ही गांव का सर्वेक्षण कार्य करवा कर सुरक्षा के लिये किये जान  वाले कार्यों का प्रस्ताव तैयार करवाया जाएगा।

नंद किशोर जोशी, आपदा प्रबंधन अधिकारी, चमोली।

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